आप पढो या ना पढो मैंने तो लिख दिया

वैसे आपको अच्छा लगेगा क्योकि मैंने......................

Friday, 25 February 2011

मनखे

तै जित सब जहन के दिल ला सबके दुःख ला सबके दरद ला सबके भूख ला सबके पीरा ला सब्बो के तकलीफ ला सहिके बता तब अपन आप ला मनखे कई आज के समाज में बोलना बड़ा सस्ता हे संगवारी फेर करके देखना कठिन हे कबर की मनखे बड़ स्वारथी हवे अपन स्वारथ बार जियत हवे मनखे कंहा जावत हे ओला खुद पता निहे फेर रेंगत हवे टुन्गुर टुन्गुर दुनिया के चकल्लस म इही दुनिया म मनखे रहिथे यशवंत तिवारी ओखर कहिना अतके हावे की जी जरुर फेर अपन बर नहीं अपन आस पास के दरद बर सबके दुःख बर सबके भूख बर सबके पीरा ला पी तेखर बाद मनखे बरोबर जी ये बात ला उही कही सकत हे जेन ह वास्तव म मनखे हरय ।

धन्यवाद्
संजू जी

Thursday, 10 June 2010

खुदी को कर बुलंद इतना की हिमालय की चोटि में जा पहुचे
और खुदा खुद आकर तुमसे पूछे अबी निचे उतरेगा कैसे

धन्यवाद